खुदा की मोहब्बत से मामूर होकर मसीहा उत्तर आया है नूर होकर -२ खुदा की मोहब्बत से मामूर होकर वो आया है अपने ही वादे की खातिर लिया जन्म उसने कुवारी से आखिर -२ मुशीर और मालिक अबिदियत वही है सलामती का भी शहजादा वही है -२ जहा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है किसी दिल में गम का तराना नहीं है ------ खुदा की मोहब्बत से दोबारा वो आएगा कदिल बनेगा वो ग़मगीन दिल को मुनवर करेगा -२ हुज़ूर उसके तब शादमानी रहेगी ख़ुशी वो बड़ी आसमानी रहेगी -२ नयी सल्तनत का वो राजा बनेगा सदाकत से तख़्त को संभाले रहेगा ------ खुदा की मोहब्बत से